मुद्दतो के बाद यह शाम आई है
तन्हाई में उमंग की इक अंगडाई आई है
चुपके से होटों पे मुस्कान आई है
अँधेरे में उजाले की इक शमा जलाई है
Tanhayi mein umang ki ik angadayi aayi hai
Chupke se hoton pe muskaan aayi hai
Andhere mein ujaale ki ik shama jalayi hai
1 comment:
:O Srushti ,hamein pata nahi thaa ki apa shayri itni acchi likhti hain...
I must say U r Allrounder..keep it up
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